अंकिता की शिक्षा बनस्थली यूनिवर्सिटी से एमटेक (कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग) में पूरी हुई। उन्होंने
एक वर्ष सीडैक पुणे में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में बतौर रिसर्च एसोसिएट कार्य किया। बंसल इंजीनियरिंग
कॉलेज, भोपाल में बतौर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सात माह अध्यापन किया। वर्तमान में अंकिता पाँच वर्षों से
एग्रो फर्म वैदिक वाटिका की निदेशक हैं।
अंकिता 2012 से लेखन में सक्रिय हुईं जब उनके लिखे गीत पर बना फ़्लैशमॉब लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में
चयनित हुआ। इनकी लिखी दो दर्जन कहानियाँ बिग ऍफ़एम के दो प्रसिद्ध कार्यक्रमों में प्रसारित हो चुकी
हैं।
अंकिता ने रूबरू दुनिया मासिक पत्रिका का तीन वर्ष सफ़ल संपादन एवं प्रकाशन किया। मार्च 2017 में अंकिता
की पहली हिंदी किताब “ऐसी-वैसी औरत” प्रकाशित हुई, जो कम समय में ही जागरण-नील्सन बेस्ट सेलर बन गई।
नवंबर 2018 में अंकिता की दूसरी किताब “मैं से माँ तक” प्रकाशित हुई जो गर्भावस्था पर आधारित हिंदी में
पनी तरह की पहली किताब है। जनवरी 2020 में अंकिता की तीसरी क़िताब "बहेलिए" प्रकाशित हुई जो
पाठकों के बीच ख़ासी पसंद की जा रही है।
अंकिता प्रभातख़बर अखबार की साप्ताहिक पत्रिका सुरभी, एवं लल्लन टॉप न्यूज़ पोर्टल पर अपने
“माँ-इन-मेकिंग” कॉलम के लिए भी चर्चित रही हैं। उनके लेख अहा! ज़िन्दगी, इंडिया टुडे, आईचौक, नवभारत
टाइम्स(गोल्ड) में प्रकाशित होते रहते हैं। इन दिनों अंकिता राजस्थान पत्रिका के लिए मासिक सम्पादकीय
भी लिख रही हैं।